सन्त नामदेव sentence in Hindi
pronunciation: [ sent naamedev ]
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- सन्त नामदेव नामधारी अनेक संत हो चुके है।
- पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में सन्त नामदेव का पद
- सन्त नामदेव रचित यह भक्तिपद राग अहीर भैरव पर आधारित था।
- सन्त नामदेव ने सन्त ज्ञानेश्वए के साथ सम्पूर्ण भारत के तीर्थों की यात्रा की।
- इनका उल्लेख सन्त नामदेव (सं 0 1327-1407) और रैदास ने अपनी रचनाओं में किया है।
- सन्त ज्ञानेश्वर के सान्निध्य में सन्त नामदेव सगुण भक्ति से निर्गुण भक्ति की ओर प्रवृत्त हुए।
- निर्गुण भक्ति के संतों में अग्रिम सन्त नामदेव उत्तर भारत की सन्त परम्परा के प्रवर्तक माने जाते हैं।
- आज हम आपको सन्त नामदेव का एक अभंग भारतरत्न पण्डित भीमसेन जोशी के स्वरों में प्रस्तुत कर रहे हैं।
- पुरस्कार एवं सम्मानः 1-महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का ‘ सन्त नामदेव ‘ पुरस्कार 2-महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का ‘
- विठ्ठल देवता (विठ्ठोबा) की प्रशंसा में गाए जाने वाले इन भजनों को सबसे पहले सन्त नामदेव ने मराठी में गाना शुरू किया था.
- पहले आप सुनेंगे राग अहीर भैरव के स्वरों में पिरोया सन्त नामदेव का एक भक्तिपद, भारतरत्न पण्डित भीमसेन जोशी के स्वरों में।
- अभंग नाम से इस कीर्तन शैली को जनमानस में लोकप्रिय करने का श्रेय दो सन्त कवियों-गायकों, सन्त नामदेव और सन्त ज्ञानेश्वर को प्राप्त है।
- विठ्ठल देवता (विठ्ठोबा) की प्रशंसा में गाए जाने वाले इन भजनों को सबसे पहले सन्त नामदेव ने मराठी में गाना शुरू किया था.
- सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर
- सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर
- डॉ. हेमन्त विष्णु इनामदार ने अपनी पुस्तक ‘ सन्त नामदेव ' में यह उल्लेख किया है कि आरम्भ में सन्त नामदेव परमेश्वर के सगुण स्वरुप विठ्ठल के उपासक थे।
- डॉ. हेमन्त विष्णु इनामदार ने अपनी पुस्तक ‘ सन्त नामदेव ' में यह उल्लेख किया है कि आरम्भ में सन्त नामदेव परमेश्वर के सगुण स्वरुप विठ्ठल के उपासक थे।
- अब सन्त नामदेव उसके पीछे देसी घी का कटोरा लेकर भाग रहे हैं और वे उसमें देख रहै है परम पिता परमात्मा का रुप कह रहै है ” प्रभु रुखी रोटी न खाऔ थोड़ा घी भी लेते जाओ।
- सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर साधना-पथ पर द्विधारहित एवं संशयहीन मनःस्थिति से कामनाओं एवं परिग्रहों को त्याग कर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
- सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर साधना-पथ पर द्विधारहित एवं संशयहीन मनःस्थिति से कामनाओं एवं परिग्रहों को त्याग कर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
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